Wednesday, October 29, 2008

सच

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दोस्त,
दुनिया,
दामान ऐ अज़ीज़

सब बहाने हैं दिल लगाने के
बस इसी सच को भूल जाने के
ज़िन्दगी का सबसे कड़वा सच
ज़िन्दगी का यही अकेलापन

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