MysticMoron
Thursday, October 7, 2010
अज़ीय्यत
दिन,
रात,
दिन,
रात, ...,
ये तस्सल्सुल किसलिए ?
तो तुम्हे भी क्या नहीं है अपनी फितरत से निजात ? !!!
Wednesday, October 6, 2010
हिसाब
मेरा शऊर
मेरा जहन्नुम है
तुम
इसके बदले ...
मुझे क्या दे सकोगे ?
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